सतलोक ऐसा अमर लोक है जहाँ एक हंस आत्मा के शरीर का तेज 16 सूर्यों के समान है लेकिन उसमें गर्मी नहीं है।सतलोक सुख का सागर है। वहां किसी वस्तु का अभाव नहीं। वहां सभी वस्तुओं का भंडार है। पृथ्वी पर इंसान भूखे रहते हैं। वस्तुओं के अभाव में कष्ट पाते हैं।
सतलोक में पृथ्वी की तरह कोई युद्ध, लड़ाई झगड़े, राग द्वेष नहीं होते। क्योंकि वहां किसी चीज़ की कमी नहीं। सबका अलग स्थान है। सबके अपने निजी विमान हैं। कोई अमीर गरीब का भेद नहीं।पृथ्वी लोक का राजा काल है जो सब प्राणियों को धोखे में रखता है, प्रतिदिन एक लाख मनुष्यों का आहार करता है, मारता है। जबकि सतलोक का मालिक दयालु परमात्मा कबीर साहेब हैं। जो सबके रक्षक हैं।सतलोक में एक तत्व का बना नूरी शरीर है। उसमें कोई रोग या बीमारी नहीं होती। इस लोक की काया नाश्वान है। इसमें मनुष्य को अनेकों रोग लगे रहते हैं।
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